Department of Philosophy & Centre for Advanced Studies
University of Rajasthan, Jaipur
दर्शन विभाग एवं उच्च अध्ययन केंद्र, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर
CAS Coordinator's Message
जीवमात्र के लिए लौकिक अभ्युदय एवं निश्रेयस की सोपानभूता ज्ञान विज्ञान की महती परम्परा के
मूर्धन्यमनी दर्शनशास्त्र विषय की विभिन्न शाखाओं के अध्ययन, अध्यापन, प्रवचन एवं शोधकार्यों से
परिपुष्टि होती है। राजस्थान विश्वविद्यालय का दर्शनशास्त्र विभाग ज्ञानयज्ञ रुपी महान उद्देश्य के लिए
सर्वात्मना समर्पित है। इसकी गौरवशाली परम्परा को महनीय आचार्यों ने पुष्पित एवं पल्लवित किया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा प्रवर्तित विशेष सहायता कार्यक्रम (SAP) तथा उच्च अध्ययन
केंद्र (CAS) के द्वारा इस क्षेत्र मे पर्याप्त प्रशंसनीय कार्य किया गया है तथा भविष्य में किये जाने की
अपार संभावना है।
संसार की समग्र समस्याओं का समाधान ज्ञान के प्रकाश से ही संभव हुआ है यही हमारे जीवन की
सर्वोच्च महत्वपूर्ण शक्ति एवं उपलब्धि है। मैं जिज्ञासु विद्यार्थियों, अनुसंधित्सु अध्यापकों तथा
दार्शनिक प्रवरों से सविनय निवेदन एवं आग्रह करता हूँ कि इस दर्शनशास्त्र की समाराधना रुपी ज्ञानमयी
यज्ञाग्नि को सदा सर्वदा प्रज्जवलित बनाये रखें। अमृतत्व की साधक श्री विद्या की उपासना ही वैदिक
परम्परा रही है। ऋषि ऋण विमोचन का यही एकमात्र उपाय है।
वस्तुतः दर्शनशास्त्र हमारे उज्जवल भविष्य, संतुलित व समन्वित वर्तमान तथा चारित्रिक उत्कर्ष का
साधक है। भारतीय दर्शन के अनुसार आत्मज्ञान ही अध्यात्मिक साधना का सर्वस्व है। जो दर्शन के
निरन्तर चिन्तन, मनन एवं निदिध्यासन से सम्पन्न होता है।
डॉ. अरविन्द विक्रम सिंह
समन्वयक, उच्च अध्ययन केंद्र एवं
राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर